सलाकार एक परफेक्ट कहानी बनकर सामने आई: प्रोड्यूसर सुंजॉय वाधवा - Manoranjan Metro

    मशहूर प्रोड्यूसर सुंजॉय वाधवा, जिनके बैनर Sphereorigins के तले कई चर्चित टीवी शोज और वेब सीरीज़ बन चुकी हैं, अब अपनी नई स्पाई-थ्रिलर सीरीज़ सलाकार को लेकर आ रहे हैं। इस सीरीज़ में नवीन कस्तूरिया, सूर्या शर्मा, मौनी रॉय, मुकेश ऋषि और पूर्णेंदु भट्टाचार्य जैसे कलाकार नजर आएंगे। इसका निर्देशन फारूक कबीर ने किया है।

    सुंजॉय ने बताया, “हमारी पिछली वेब सीरीज़ रणनीति थी और हम स्पाई जॉनर में कुछ करना चाहते थे। जब नेटवर्क की ओर से हमें जासूसी पर आधारित एक कहानी का आइडिया मिला, तो हम तुरंत जुड़ने को तैयार हो गए। कहानी तो बहुत अच्छी थी, लेकिन उसमें भावनात्मक गहराई जोड़ना थोड़ा चुनौतीपूर्ण था। ऐसे में डायरेक्टर फारूक कबीर ने राइटर के साथ मिलकर यह सुनिश्चित किया कि कहानी सिर्फ एंटरटेनिंग न हो, बल्कि दर्शकों से भावनात्मक रूप से भी जुड़ सके।”

    सुंजॉय को जो चीज सबसे ज़्यादा आकर्षित लगी, वह थी कहानी की परतदार शैली। उन्होंने कहा, “इस सीरीज़ की दो अलग-अलग टाइमलाइन की बनावट ने हमें बहुत प्रेरित किया। यह एक जासूसी कहानी है जिसमें रोमांच और सस्पेंस तो है ही, लेकिन साथ ही इसमें भावनात्मक गहराई भी है जो इसे खास बनाती है।”

    Also Read : रंगों के ज़रिए एनर्जी हीलिंग: एस्ट्रोलॉजर रिन्ही सुबेरवाल की आसान ड्रेसिंग गाइड - Manoranjan Metro

    जब उनसे पूछा गया कि क्या थ्रिल और रियलिज़्म के बीच बैलेंस बनाना मुश्किल था, तो उन्होंने कहा, “नहीं, इसे बहुत सोच-समझकर बनाया गया है। हर स्पाई स्टोरी में ड्रामा होता है, लेकिन हमारी चुनौती थी भावनात्मक स्तर को और गहरा करना। सीरीज़ में रोमांच है, पर साथ ही किरदारों की भावनाएं भी हैं, जो कहानी को और समृद्ध बनाती हैं।”

    जासूसी जैसे जॉनर में भावनाओं की भूमिका पर  सुंजॉय  ने अपनी राय रखी: “जासूसी की कहानी और जेम्स बॉन्ड जैसी फिल्मों में बहुत फर्क होता है। जेम्स बॉन्ड स्टाइल फिल्मों में ग्लैमर, गैजेट्स और स्टाइल होता है, वहां भावनाओं की जगह कम होती है। लेकिन एक असली स्पाई की कहानी में इंसानियत और इमोशन्स का बड़ा रोल होता है।”

    उन्होंने आगे कहा, “जासूस भी आम इंसान होते हैं, जो अलग-अलग हालात में काम करते हैं। वे अपने परिवार से दूर रहते हैं, नए कल्चर में ढलते हैं, खुद का सपोर्ट सिस्टम बनाते हैं। उनके लिए ज़िंदगी आसान नहीं होती। वे हमेशा खतरे में रहते हैं और साथ ही अपनी पर्सनल परेशानियों से भी जूझते रहते हैं। हमने इस सीरीज़ में यही दिखाने की कोशिश की है कि कैसे ये जासूस असल ज़िंदगी में अपनी पहचान छिपाकर, देश के लिए बलिदान देते हैं और कई बार अपने कम्फर्ट ज़ोन से बाहर जाकर अंजान जगहों में काम करते हैं।”



    Previous Post Next Post