सुष्मिता बानिक: माइक्रो ड्रामा में पहले शॉट से ही इमोशन डिलीवर करना पड़ता है, वरना ऑडियंस आगे बढ़ जाती है - Manoranjan Metro

    सुष्मिता बानिक माइक्रो ड्रामा में पहले शॉट से ही इमोशन डिलीवर करना पड़ता है, वरना ऑडियंस आगे बढ़ जाती है - Manoranjan Metro

    अभिनेत्री सुष्मिता बानिक, जिन्होंने 2021 में जननी (इशारा चैनल) से टेलीविजन डेब्यू किया था और 2022 में संगदिल शेरदिल में धीरज धूपर के साथ नज़र आई थीं, मानती हैं कि तेज़ रफ़्तार एंटरटेनमेंट की दुनिया में अब माइक्रो ड्रामा ही भविष्य है।

    जब उनसे पूछा गया कि माइक्रो ड्रामा पारंपरिक कहानी कहने से कैसे अलग है, तो सुष्मिताने कहा,“माइक्रो ड्रामा दरअसल कहानी का फास्ट-फॉरवर्ड वर्ज़न है। अगर समय कम है, तो सीधे इमोशन और ट्विस्ट पर जाना पड़ता है। यहां ये लक्ज़री नहीं है कि धीरे-धीरे इमोशन बिल्ड हो… यहां तो पहले ही शॉट से विश्वसनीय लगना ज़रूरी है। पहले 3 सेकेंड में पकड़ना ज़रूरी है—एक छोटा कॉन्फ्लिक्ट, एक ट्विस्ट और स्ट्रॉन्ग क्लाइमैक्स… यही फॉर्मूला है। कम बातें और ज़्यादा विज़ुअल्स।”

    अभिनय के लिहाज़ से इस फॉर्मेट पर उन्होंने कहा, “एक्टर को पहले शॉट में ही डिलीवर करना पड़ता है। माइक्रो ड्रामा में अगर आप शुरुआत में इमोशन नहीं दिखा पाए, तो ऑडियंस तुरंत आगे बढ़ जाती है।”

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    स्क्रिप्ट और शूटिंग के क्रिएटिव विकल्पों पर बात करते हुए  सुष्मिता  ने कहा, “छोटे फॉर्मेट में डिटेलिंग का स्कोप कम होता है, इसलिए फोकस स्क्रिप्ट पर रहता है। एक कॉन्फ्लिक्ट और एक क्लाइमैक्स होना चाहिए, जो मज़बूत हो। यहां विज़ुअल्स ज़्यादा और डायलॉग्स कम होते हैं, ताकि कंटेंट एंगेजिंग लगे।”

    नए टैलेंट के लिए माइक्रो ड्रामा को वह एक बेहतरीन अवसर मानती हैं। “बिलकुल! ये सबसे आसान एंट्री है। कम बजट में भी आप अपनी क्रिएटिविटी दिखा सकते हैं। बहुत से लोग इसी फॉर्मेट से डिस्कवर हुए हैं।”

    वायरल कंटेंट और इंस्टेंट फीडबैक पर उन्होंने उत्साह के साथ कहा, “ये पहले से ही हो रहा है! लोग स्नैकेबल कंटेंट चाहते हैं और ये फॉर्मेट उसके लिए परफेक्ट है। वायरल होने से तुरंत फीडबैक भी मिलता है, जो एक लर्निंग प्रोसेस है।”

    आखिर में उन्होंने कहा, “इनका पहले से ही बहुत बड़ा ऑडियंस है। स्नैकेबल कंटेंट का क्रेज़ बढ़ रहा है, लेकिन लंबी कहानियों की भी हमेशा अपनी जगह रहेगी।”

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