उद्यमी और कंटेंट क्रिएटर गौरव सक्सेना ने साधना और रिट्रीट्स के महत्व पर साझा किए अपने अनुभव - Manoranjan Metro

Entrepreneur and content creator Gaurav Saxena shares his experiences on the importance of Sadhana and retreats - Manoranjan Metro

आज के समय में जहाँ ‘हसल कल्चर’ हावी है और मानसिक स्वास्थ्य को अक्सर नज़रअंदाज़ कर दिया जाता है, ऐसे में उद्यमी और कंटेंट क्रिएटर गौरव सक्सेना एक नई मिसाल कायम कर रहे हैं—वो मानसिक शांति और आत्मिक विकास को प्राथमिकता देते हैं। अपने इनोवेटिव वेंचर्स और डिजिटल कंटेंट के लिए पहचाने जाने वाले गौरव ने हाल ही में अपने व्यस्त शेड्यूल से समय निकालकर गोवा में एक ट्रांसफॉर्मेटिव रिट्रीट में हिस्सा लिया। उनका मानना है कि इस अनुभव ने उनकी ज़िंदगी में गहरा असर डाला है।

गौरव इस रिट्रीट की ओर इसलिए आकर्षित हुए क्योंकि यह एक ऐसा शांत वातावरण देने का वादा करता था जहाँ आत्मचिंतन और आत्म-उपचार संभव हो सके। “मैं एक ऐसी जगह की तलाश में था जहाँ मैं खुद से जुड़ सकूं, खुद को समझ सकूं,” उन्होंने साझा किया। “प्राकृतिक वातावरण में रहकर योग, ध्यान और समान सोच वाले लोगों से जुड़ने का विचार मुझे बेहद सुकूनदायक लगा।”

गौरव के लिए यह रिट्रीट केवल रोज़मर्रा की भागदौड़ से दूर जाने का साधन नहीं था, बल्कि यह आत्म-देखभाल और भावनात्मक स्पष्टता के लिए एक समग्र अनुभव था। “ऐसे रिट्रीट्स हमें बाहरी शोर से काटकर अंदर की सच्चाई से जोड़ते हैं। आप न केवल तरोताज़ा महसूस करते हैं, बल्कि तनाव को मैनेज करने के लिए ज़रूरी टूल्स भी सीखकर लौटते हैं,” वे कहते हैं।

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एक ऐसे व्यक्ति के रूप में जो उद्यमिता और डिजिटल क्रिएशन के दबावों को संतुलित करता है, गौरव जानबूझकर अपने रोज़ के जीवन में माइंडफुलनेस को शामिल करते हैं। चाहे वह जर्नलिंग हो, शाम की सैर हो या बस कुछ पल गहरी साँसें लेना—ये छोटी-छोटी आदतें उनके वेलनेस रूटीन का आधार हैं। “सेल्फ-केयर कोई बड़ी चीज़ नहीं होनी चाहिए, बस यह नियमित होनी चाहिए,” वे मुस्कुराते हुए कहते हैं।

रिट्रीट के गहरे प्रभाव पर गौर करते हुए गौरव मानते हैं कि ये अनुभव सिर्फ एक पल की राहत नहीं होते, बल्कि ये सोचने के तरीके, आदतों और मुश्किलों से निपटने के दृष्टिकोण को भी बदल सकते हैं। “जो कुछ आप वहाँ सीखते हैं, वह आपके साथ रह जाता है। बस ज़रूरत होती है उन सीखों को अपने जीवन में शामिल करने की,” वे बताते हैं। गौरव का मानना है कि माइंडफुलनेस और आत्मिक विकास आज के समय में वर्क-लाइफ बैलेंस बनाए रखने के ज़रूरी औज़ार हैं।

“ये हमें ज़मीन से जुड़े रहने में मदद करते हैं। जब दुनिया ओवरवर्क को महिमामंडित करती है, तब माइंडफुलनेस स्पष्टता लाती है और आत्मिक जागरूकता हमें हमारे उद्देश्य से जोड़कर रखती है। यह याद दिलाती है कि सफलता सिर्फ बाहरी नहीं होती, बल्कि भीतर की शांति भी उतनी ही महत्वपूर्ण हैं।

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