सिर्फ इसलिए कई सोसायटियों ने मुझे रिजेक्ट कर दिया क्योंकि मेरे पास पेट्स हैं: वर्शिप खन्ना- Manoranjan Metro

Many societies rejected me just because I have pets Worship Khanna- Manoranjan Metro

टीवी एक्टर वर्शिप खन्ना, जो इन दिनों शो पति ब्रह्मचारी में नजर आ रहे हैं, दो प्यारे डॉग्स — दीवा और सिंबा — के मालिक हैं। उनके जीवन का हर दिन इन मासूम जानवरों के इर्द-गिर्द घूमता है और उनका उनसे जुड़ाव बेहद गहरा है।वर्शिप कहते हैं, “ये मेरे पहले पेट्स हैं। दीवा अब साढ़े छह साल की हो चुकी है और सिंबा उससे थोड़ा छोटा है। उनके साथ बिताया हर पल मेरे लिए खास होता है। मुझे बिना शर्त प्यार पर विश्वास है, और अगर मुझे ज़िंदगी में कहीं वो मिला है, तो वो मेरी माँ से या फिर मेरे डॉग्स से। ये मुझसे बिना किसी उम्मीद के प्यार करते हैं। अगर आप सच्चे और निस्वार्थ प्रेम को महसूस करना चाहते हैं, तो एक पेट ज़रूर अपनाइए।”

अपने प्यारे लम्हों को याद करते हुए वर्शिप बताते हैं, “दीवा को बिना गोद में लिए नींद नहीं आती, और वो इंसानों की तरह कंबल में लिपटकर, मेरे कंधे पर सिर रखकर पूरी रात सोती है। अब सिंबा भी उसकी नकल करने लगा है। जैसे ही मैं बिस्तर पर लेटता हूं — चाहे रात के 10 बजे हों या सुबह के 3 — सिंबा आकर मेरी छाती पर बैठ जाता है। मुझे नहीं पता वो उन 15 मिनटों में क्या करता है, लेकिन उसे मेरी उपस्थिति चाहिए होती है। सच कहूं तो अगर दीवा मेरे पास आकर नहीं सोती या सिंबा मेरी छाती पर आकर नहीं बैठता, तो मुझे बेचैनी होती है। अब ये मेरी आदत बन चुकी है।”

वर्शिप बताते हैं कि पेट्स ने उनकी ज़िंदगी पूरी तरह बदल दी है। “अब मैं खुद को एक जिम्मेदार पैरेंट की तरह महसूस करता हूं। मुंबई में मैं अकेला रहता हूं — कोई परिवार नहीं, कोई इंतज़ार करने वाला नहीं... सिर्फ ये दो जानें। चाहे मैं कितनी भी देर से शूटिंग करके आऊं या किसी पार्टी में जाऊं, मैं हर हाल में घर लौटता हूं क्योंकि मुझे पता है कि मेरे बच्चे मेरा इंतज़ार कर रहे हैं। वो मेरे बिना सोते नहीं हैं। ये भावना कि कोई आपका इंतज़ार कर रहा है — बहुत सुंदर है।”

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जब उनसे पूछा गया कि भारत में एक पेट पैरेंट के रूप में उन्हें किन मुश्किलों का सामना करना पड़ता है, तो वर्शिप ने एक अहम मुद्दा उठाया: “जब मैंने अपने लिए रेंट पर घर तलाशना शुरू किया, तो कई सोसायटियों ने सिर्फ इसलिए मना कर दिया क्योंकि मेरे पास डॉग्स हैं। कहते हैं, ‘डॉग है? तो सॉरी, यहां नहीं रह सकते।’ मुझे ये बहुत अनुचित लगता है। ये नियम नहीं होने चाहिए। पेट्स हमारी जिम्मेदारी होते हैं — हम उनका ध्यान रखते हैं, साफ-सफाई करते हैं, सुनिश्चित करते हैं कि वो किसी को परेशान न करें। अगर मैंने डॉग पाला है, तो मैं उसका पूरा ख्याल रखूंगा। उन्हें बैन करना जैसे कि वो फैमिली नहीं हैं, गलत है।”

वो भावुक होकर जोड़ते हैं, “मैं दीवा को अपनी बेटी मानता हूं। जब वो बच्ची थी, तो मैंने उसे बोतल में मिलाकर सेरेलेक पिलाया। जब वो हल्की नींद में सोती थी, तो मैंने अपने मोबाइल को साइलेंट कर दिया था, डोरबेल बंद कर दी थी — ताकि उसकी नींद में खलल न पड़े। जब वो बीमार हुई, तो डॉक्टर के पास ले गया, वैक्सीनेशन समय पर करवाया — जो कुछ एक पेरेंट करता है, वो सब मैंने किया है। और इस जिम्मेदारी की भावना से जो खुशी मिलती है, वो शब्दों में नहीं बयां की जा सकती।”

वर्शिप का सपना है कि एक दिन वो जानवरों के लिए कुछ बड़ा करें। “जब मैं सफल हो जाऊंगा और आर्थिक रूप से सक्षम हो जाऊंगा, तो एक पेट शेल्टर खोलूंगा — ऐसा स्थान जहां बहुत सारे जानवर बिना डर के, खुशहाल ज़िंदगी जी सकें। उन्हें अच्छा खाना, देखभाल और इलाज मिले। और सच कहूं, तो मैं अपनी ज़िंदगी के बाकी साल डॉग्स के साथ बिताना चाहता हूं — इन मासूम आत्माओं के साथ, जो बिना शर्त, बेइंतहा प्यार करती हैं।” वर्शिप खन्ना की कहानी हमें यह सिखाती है कि प्यार, देखभाल और ज़िम्मेदारी सिर्फ इंसानों तक सीमित नहीं होती — कभी-कभी चार पैर वाले ये दोस्त भी हमें इंसानियत का सबसे सुंदर रूप सिखा जाते हैं।


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