मर्द को भी रोने और अपने जज़्बात ज़ाहिर करने का हक़ है: वर्शिप खन्ना - Manoranjan Metro

    मर्द को भी रोने और अपने जज़्बात ज़ाहिर करने का हक़ है: वर्शिप खन्ना - Manoranjan Metro

    अभिनेता वर्शिप खन्ना का मानना है कि ज़्यादातर मर्दों से ये उम्मीद की जाती है कि वो अपने जज़्बात छुपाएं और हमेशा मज़बूत बने रहें। लेकिन वो इस सोच से बिल्कुल सहमत नहीं हैं। वर्शिप, जो कुमकुम भाग्य, मेरी डोली मेरे अंगना, इश्क़ सुभान अल्लाह, हैलो जी, कोल्ड लस्सी और चिकन मसाला और पति ब्रह्मचारी जैसे शोज़ में नज़र आ चुके हैं, कहते हैं, “हमारे देश में मर्दों को 'एल्फा मेल' माना जाता है। उनसे उम्मीद की जाती है कि वो दर्द और भावनाएं न दिखाएं। वो पुरानी कहावत ‘मर्द को दर्द नहीं होता’ — मैं इससे बिल्कुल सहमत नहीं हूं।”P

    वो कहते हैं, “जज़्बात का कोई जेंडर नहीं होता। मर्द हो या औरत, हर किसी को महसूस होता है। अगर कोई मर्द है तो इसका मतलब ये नहीं कि उसे रोने का हक नहीं है। औरत है तो वो ही सिर्फ़ रो सकती है — ये सोच मुझे ग़लत लगती है। हर इंसान को अपने जज़्बात ज़ाहिर करने का पूरा हक़ है।” “मैंने कई ऐसे 'एल्फा मेल' देखे हैं जो अपने जज़्बात छुपाते हैं, लेकिन मेरे हिसाब से इससे कोई बड़ा मर्द नहीं बन जाता। असली मर्द वो है जो दयालु हो, इज्जत दे और सच्चा हो। मर्दानगी का मतलब ये नहीं कि आप अपने दिल की बात अंदर ही रखो।”

    वो आगे कहते हैं, “शायद मैं एक्टर हूं इसलिए मुझे भावनाओं से ज़्यादा जुड़ाव है। अगर मुझे किसी के सामने रोने का मन हो तो मैं बिल्कुल नहीं रुकता। मुझे फ़र्क नहीं पड़ता कि लोग क्या सोचेंगे। सबसे पहले मैं इंसान हूं, और इंसान को अपने हर जज़्बात पूरी तरह जीने चाहिए।” “अगर मैं ग़मगीन हूं तो रोता हूं, अगर गुस्सा है तो जाहिर करता हूं, अगर प्यार है तो दिखाता हूं — चाहे सामने कोई भी हो। हमें ये पुरानी सोच बदलनी होगी कि मर्दों की मानसिक स्थिति औरतों से मज़बूत होती है। हर दिल को प्यार, समझदारी और अपनापन चाहिए।”

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    वर्शिप कहते हैं, “अगर लोग कहते हैं कि लड़कियों के पास ये 'इमोशनल एडवांटेज' है कि वो रो सकती हैं, बात कर सकती हैं, तो मैं कहता हूं — मर्दों को भी वो हक़ मिलना चाहिए। अरे भई, आप भी इंसान हो! आपको भी हक़ है कि आप अपनी खुशी, दर्द, तकलीफ़ और उलझनों को शेयर करो।” “अगर आप अपने मन की बात कहोगे, तो हल्का महसूस करोगे। हो सकता है कि आपकी दिक्कतें तुरंत हल न हों, लेकिन मन हल्का होगा तो सोचने-समझने की ताक़त बढ़ेगी। हो सकता है कोई रास्ता भी निकल आए।”

    आखिर में वर्शिप कहते हैं, “इमोशंस भगवान का दिया हुआ तोहफ़ा हैं। इन्हें रोकना नहीं चाहिए, जीना चाहिए। आप जो भी महसूस करते हो — चाहे वो खुशी हो, ग़म हो, गुस्सा हो, प्यार हो, हंसी हो, नींद हो या भूख — उन्हें पूरी तरह महसूस करो। जितना आप अपने दिल की सुनोगे और अपने जज़्बात ज़ाहिर करोगे, उतनी ज़िंदगी आसान हो जाएगी। प्लीज़, अपने जज़्बात मत दबाओ। उन्हें बहने दो, महसूस होने दो, और सामने आने दो।”

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