अभिनेत्री अनुपमा सोलंकी, जिन्होंने यह है मोहब्बतें, नथ – कृष्णा और गौरी की कहानी, कुछ रीत जगत की ऐसी है और जमुनीया जैसे टीवी शोज़ में शानदार अभिनय किया है, डांस को लेकर अपने दिल के जुड़ाव के बारे में खुलकर बात करती हैं। उनके लिए डांस सिर्फ एक कला नहीं, बल्कि उनके जीवन का जरूरी हिस्सा है।
"डांस मेरे लिए जादू की तरह है।" अनुपमा कहती हैं, "जब भी मैं उदास होती हूं, थकी होती हूं या किसी परेशानी में होती हूं, तो डांस ही है जो मुझे अच्छा महसूस कराता है। जब शब्द कम पड़ जाते हैं, तब डांस मेरे मन की बात कह देता है।"
वो आगे कहती हैं, "डांस करने से मुझे आज़ादी महसूस होती है। मैं हल्की, खुश और ज़िंदा महसूस करती हूं। यह मेरे लिए जैसे एक थेरेपी है, जो सारे दुख मिटाकर मुझे खुशी से भर देती है।"
अनुपमा के लिए डांस सिर्फ शरीर की हरकत नहीं, बल्कि खुद से जुड़ने का एक तरीका है। "जब मैं डांस करती हूं, तो मैं यह नहीं सोचती कि लोग क्या कहेंगे या मैं कैसी लग रही हूं। उस समय मैं सिर्फ म्यूज़िक और अपनी फीलिंग्स में होती हूं। यह एक सच्चा संवाद होता है मेरे और मेरे दिल के बीच।"
उनका डांस से जुड़ा सबसे प्यारा रिश्ता है उनकी मां के साथ। "मेरी सबसे पसंदीदा डांस पार्टनर मेरी मम्मी हैं। उनके साथ डांस करना मेरे लिए सबसे खास खुशी है। जब हम साथ डांस करते हैं, तो जैसे वक्त थम जाता है। यह हमारा प्यार और साथ का तरीका है।"
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जब डांस आइकन की बात आती है, तो अनुपमा बिना सोचे कहती हैं, "माधुरी दीक्षित मेरी सबसे बड़ी प्रेरणा हैं। उनके डांस में जो ग्रेस, एक्सप्रेशन और स्टाइल है, वह कहानी कहता है। वो एक परफॉर्मेंस में ही आपको हँसा भी सकती हैं, रुला भी सकती हैं और मोटिवेट भी कर सकती हैं। उन्हें डांस करते देखना, जैसे कोई कविता चल रही हो।"
अनुपमा बॉलीवुड डांस की चमक-धमक को भी पसंद करती हैं, लेकिन उन्हें भारतीय शास्त्रीय नृत्य, खासकर कथक, से भी बहुत लगाव है। "कथक एक बहुत ही सुंदर और ताकतवर डांस फॉर्म है। इसके हावभाव, पांव की थाप और जो अनुशासन चाहिए होता है, वो मुझे बहुत अच्छा लगता है। मैं अभी कथक सीख रही हूं और हर क्लास में मुझे खुद के बारे में कुछ नया समझ आता है।"
बॉलीवुड गाने उनके डांस सफर का अहम हिस्सा हैं। "‘घाघरा’ (फिल्म: ये जवानी है दीवानी) वो गाना है जिस पर मैं कभी भी, कहीं भी नाच सकती हूं! इसकी एनर्जी और बीट्स मुझे बहुत खुश कर देती हैं। ऐसे गाने आपको खुलकर जीने की भावना देते हैं।"
अनुपमा मानती हैं कि डांस सिर्फ कला का उत्सव नहीं है, बल्कि यह भावनाओं, रिश्तों, परंपरा और खुद से जुड़ाव का भी जश्न है। चाहे स्क्रीन पर हो, क्लासिकल डांस क्लास में हो, या मां के साथ घर पर डांस करना हो—डांस हमेशा उनकी सच्ची अभिव्यक्ति का जरिया है।
"डांस करते हुए मुझे लगता है कि मुझे कोई देख रहा है, भले ही कोई न हो। यह परफेक्ट होने की बात नहीं है, यह सच्चे होने की बात है। और जब मैं डांस करती हूं, तब मैं अपने सबसे असली रूप में होती हूं," अनुपमा मुस्कराते हुए कहती हैं।