प्रतिभा हमेशा निर्णायक कारक होनी चाहिए, कभी भी वजन या शारीरिक बनावट नहीं: सुंजॉय वाधवा - Manoranjan Metro

    Talent should always be the deciding factor, never weight or physique Sunjoy Wadhwa - Manoranjan Metro

    Bollywood News; प्रसिद्ध निर्माता जोड़ी सुंजॉय वाधवा और कोमल सुंजॉय वाधवा ने हाल ही में अपने बैनर स्फीयरओरिजिंस के तहत नया शो मेरी भाव्या लाइफलॉन्च किया है। यह शो बॉडी शेमिंग के मुद्दे पर आधारित है, जहां एक लड़की उस समाज से लड़ने के लिए तैयार है जो उसे केवल उसकी शारीरिक बनावट के आधार पर आंकता है। यह शो रोज़ाना शाम 7 बजे COLORS चैनल पर प्रसारित होता है।

    बालिका वधू, सात फेरे - सलोनी का सफर, गंगा, पेशवा बाजीराव और कथा अनकही जैसे दमदार टीवी शोज़ और रणनीति, योर ऑनर, डार्क 7 व्हाइट जैसे प्रभावशाली वेब शोज़ के साथ, यह प्रोडक्शन हाउस हमेशा दर्शकों के लिए नई और खास कहानियां लाने की कोशिश करता आया है।

    हालांकि, सुंजॉय का मानना है कि किसी कलाकार को काम देने के लिए उसका वजन या लुक मायने नहीं रखता — असली पहचान उसकी प्रतिभा से होनी चाहिए।

    उन्होंने कहा, “प्रतिभा ही पहचान का मापदंड होनी चाहिए, न कि वजन या शारीरिक बनावट। हर इंसान, चाहे उसका आकार या रूप कोई भी हो, विशेषकर क्रिएटिव फील्ड में, सम्मान का हकदार है। ध्यान इस पर होना चाहिए कि वह कलाकार अपने किरदार में क्या लेकर आ रहा है, न कि वह कैसा दिखता है।” उन्होंने आगे कहा, “अभी भी इंडस्ट्री में कहीं न कहीं यह पूर्वाग्रह बना हुआ है। ‘मेरी भाव्या लाइफ’ इसी सोच को चुनौती देने के लिए है — यह दिखाने के लिए कि आत्म-सम्मान और आंतरिक शक्ति, समाज के सतही मानकों से कहीं अधिक महत्वपूर्ण हैं।”

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    इस नए शो के बारे में बात करते हुए सुंजॉय ने बताया कि COLORS टीम के साथ बातचीत के दौरान उन्हें एहसास हुआ कि बॉडी शेमिंग युवाओं के बीच एक गंभीर मुद्दा बन चुका है। इसी से प्रेरित होकर उन्होंने इस विषय को केवल कहानी नहीं, बल्कि एक संदेश के रूप में पेश करने का निर्णय लिया।

    उन्होंने कहा, “हमारा उद्देश्य यह दिखाना था कि समाज किस तरह उन चीजों को मुद्दा बना देता है, जो कभी मुद्दा होनी ही नहीं चाहिए थी। हमने भाव्या की यात्रा को एक ऐसे रूप में प्रस्तुत करने की कोशिश की है, जो ना सिर्फ दर्शकों को जोड़ सके, बल्कि उन्हें सशक्त भी कर सके। यह खुद को अपनाने और दुनिया से अपना सम्मान दिलवाने की कहानी है। हमें उम्मीद है कि यह विशेष रूप से युवा दर्शकों से जुड़ पाएगी।”

    OTT बनाम टीवी की बहस पर भी सुंजॉय ने अपनी राय रखी। उन्होंने कहा, “OTT टेलीविज़न का दुश्मन नहीं है, बल्कि ये दोनों माध्यम एक-दूसरे के पूरक हैं। टेलीविज़न लंबे और गहरे स्तर की कहानी कहने के लिए उपयुक्त है, जबकि OTT प्लेटफॉर्म संक्षिप्त और तेज़ गति वाली कहानी के लिए बेहतर है।”

    उन्होंने यह भी जोड़ा कि “कई बार शोज़ का जल्दी ऑफ-एयर होना कई कारणों से होता है — जैसे कमजोर कहानी या खराब मार्केटिंग। इसे सिर्फ OTT की वजह से कहना गलत है। समाधान इसमें है कि हम लगातार दमदार कंटेंट बनाएं, सही कास्टिंग करें और शो का सही तरीके से प्रचार करें।”

    सुंजॉय का यह दृष्टिकोण मनोरंजन की दुनिया में एक सकारात्मक बदलाव की ओर संकेत करता है — जहां असली मायने प्रतिभा और आत्मबल के होते हैं, न कि बाहरी बनावट के।

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