चमकती रोशनी, तेज़ रफ्तार शेड्यूल, लगातार सफ़र और हर दिन नई-नई चुनौतियाँ — एक उभरती अभिनेत्री की ज़िंदगी बाहर से जितनी ग्लैमरस दिखती है, अंदर उतनी ही तूफ़ानी हो सकती है। लेकिन रुक्मिणी वसंत ने इस तूफ़ान के बीच अपनी शांति ढूंढ़ ली है — एक बेहद सरल, बेहद निजी और चौंकाने वाला रिचुअल: जर्नलिंग।
हाँ, डायरी में लिखना — वही पुरानी आदत, जिसे हममें से कई लोग छोड़ चुके हैं — यही रुक्मिणी की सबसे बड़ी सुपरपावर है। चाहे दिन कितना भी भागमभाग वाला हो, चाहे सेट पर कितने भी सीन हों, चाहे सफ़र कितना भी लंबा हो, रुक्मिणी रात को अपनी डायरी के पन्नों से ज़रूर मिलती हैं। यह उनका तरीका है खुद से दोबारा जुड़ने का, मन के शोर को शांत करने का और ज़िंदगी को एक साफ़ नज़र से देखने का।
वह इस रिचुअल पर खुलकर कहती हैं, "जर्नलिंग वही जगह है जहाँ मैं रुककर खुद को देख पाती हूँ। मैं अपनी पुरानी डायरीज़ खूब पढ़ती हूँ — वो नज़रिया देती हैं। बिर्बल से पहले की मेरी चिंता, ड्रामा स्कूल के दिनों की उलझनें… आज से इतनी अलग, पर उतनी ही सच्ची। इससे समझ आता है कि जो आज बड़ा तूफ़ान लग रहा है, कुछ साल बाद वही हल्की सी हवा जैसा लगेगा।"
और यह बेहद खूबसूरत बात है — एक उभरती स्टार जो हर हफ्ते हेडलाइन में है, वह अपनी सबसे बड़ी स्थिरता कागज़ और कलम से पाती है।
अब जब रुक्मिणी दो विशाल पैन-इंडियन प्रोजेक्ट्स — यश के साथ Toxic: A Fairytale for Grownups और जूनियर एनटीआर के साथ बहु-प्रतीक्षित NTRNeel की तैयारी में हैं, उनकी ज़िंदगी पहले से ज्यादा तेज़ है। मगर इस तेज़ी में उनकी डायरी ही वो शांत एंकर है जो उन्हें जमीन से जोड़े रखता है, उनके विचारों को साफ़ करता है और उनकी ताकत बनकर खड़ी रहती है।
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