मर्दों के जज़्बात ज़ाहिर करने पर उन्हें जज करना बंद करना होगा: शिवांगी वर्मा - Manoranjan Metro

We need to stop judging men for expressing their emotions: Shivangi Verma - Manoranjan Metro

तेरा इश्क़ मेरा फितूर, छोटी सरदारनी, हाल ही में रिलीज़ हुई फिल्म बैडऐस रवि कुमार और आने वाली फिल्म गौरीशंकर गौहरगंज वाले में अपने शानदार अभिनय के लिए पहचानी जाने वाली अभिनेत्री शिवांगी वर्मा का मानना है कि पुरुषों की मानसिक सेहत को जितना सम्मान और महत्व मिलना चाहिए, वो अभी भी नहीं मिल पा रहा है।

मेंस मेंटल हेल्थ अवेयरनेस मंथ के महत्व पर बात करते हुए शिवांगी कहती हैं, “हाँ, बिल्कुल। मुझे लगता है कि पुरुषों की मानसिक सेहत को हमेशा नजरअंदाज़ किया गया है। ऐसा लगता है जैसे समाज उनसे ये उम्मीद करता है कि वो हर हाल में मज़बूत और शांत रहें, चाहे उनके अंदर कुछ भी चल रहा हो। लेकिन ये सही नहीं है। वो भी इंसान हैं — उन्हें भी दर्द, तनाव, उदासी महसूस होती है, जैसे औरों को होती है।”

वो आगे कहती हैं, “मेंटल हेल्थ का कोई जेंडर नहीं होता, ये इंसान होने की बात है। मुझे अच्छा लगता है कि अब धीरे-धीरे इस पर बातचीत शुरू हो रही है, लेकिन अभी भी बहुत कुछ करना बाकी है। पुरुषों के लिए भी एक सुरक्षित जगह होनी चाहिए — जहाँ वो रो सकें, बात कर सकें, और ठीक हो सकें।

शिवांगी बताती हैं, “हाँ, मैंने भी अपने आसपास ये देखा है। बहुत से पुरुष — चाहे वो दोस्त हों या परिवार वाले — अपनी फीलिंग्स को अंदर ही दबाकर रखते हैं। शायद उन्हें लगता है कि अगर वो अपने जज़्बात दिखाएंगे तो लोग उन्हें जज करेंगे। समाज उन्हें बचपन से सिखाता है कि ‘लड़के नहीं रोते’ — लेकिन मुझे लगता है ये सोच बहुत ग़लत है।”

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वो कहती हैं, “रोना या अपनी फीलिंग्स शेयर करना कमज़ोरी नहीं है। बल्कि अपने दिल की बात कहने के लिए हिम्मत चाहिए होती है। पुरुषों को भी अपनी बात बिना डर या शर्म के कहने की आज़ादी होनी चाहिए।”

पुरुषों की भावनाओं को बेहतर समझने पर शिवांगी कहती हैं, “औरतों के रूप में, हम भी कई बार पुरुषों से एक तय तरह के व्यवहार की उम्मीद करते हैं। लेकिन जब वो चुप हो जाते हैं या दूर-दूर रहते हैं, तो हम समझ नहीं पाते कि शायद वो अंदर से किसी तकलीफ़ से गुजर रहे हैं। हर मर्द अपने जज़्बात ज़ाहिर नहीं करता, लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि उसे फ़र्क नहीं पड़ता।”

शिवांगी का मानना है कि बदलाव की शुरुआत बचपन से होनी चाहिए। “स्कूल और परिवारों में लड़कों को बचपन से सिखाना चाहिए कि जज़्बात होना और उन्हें ज़ाहिर करना बिल्कुल सामान्य बात है। जब पुरुष सेलेब्रिटीज़ अपने जज़्बातों के बारे में बात करते हैं, तो दूसरों को भी हिम्मत मिलती है।”

आख़िर में वो कहती हैं, “मैं हमेशा कोशिश करती हूं कि मेरे पुरुष दोस्त मुझसे दिल खोलकर बात कर सकें। बदलाव की शुरुआत दयालुता से होती है। धीरे-धीरे, यही चीज़ सामान्य बन जाती है।

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